आज हम बात करेंगे EVM यानि की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में, की EVM क्या है, इसे कहा बनाया जाता है और एक EVM की कीमत कितनी होती है।
EVM एक ऐसी मशीन है जिससे मतदाता (Voter) अपना मत (Vote) किसी उम्मीदवार को दे सकता है।
EVM के दो यूनिट होते है पहला कण्ट्रोल यूनिट और दूसरा बैलेटिंग यूनिट जो एक 5 मीटर केबल के जरिये एक दूसरे से जुड़े रहते है।
EVM यानि की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन जिसका इस्तेमाल आज के समय में वोटिंग के लिए किया जाता है। लेकिन शुरुआत में वोटिंग के लिए EVM के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाता था। जिसमे बहुत बड़ी मात्रा में कागज की जरूरत पड़ती थी और इसमें खर्चा भी ज्यादा होता था और साथ ही समय भी ज्यादा लगता था, इन सारी चीज़ों को देखते हुए EVM लगाने का फैसला लिया गया।
EVM कहाँ बनती है?
EVM को भारत में 2 जगह बनाया जाता है पहला इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद और दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर।
आपको बता दे की EVM में एक बैटरी लगी होती है जिससे ये चलती है मतलब EVM को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नही पड़ती। इसके अलावा EVM की वजह से हमारे पर्यावरण को भी फायदा होता है, क्योंकि इसकी वजह से बड़ी मात्रा में कागज बचता है। बता दें कि EVM की कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में परिणाम 10 साल और उससे भी अधिक समय तक रहता है।
EVM की कीमत ?
अगर हम बात करे इसकी कीमत की तो साल 1989-90 में जब मशीनें खरीदी गई थीं उस समय एक ईवीएम की लागत 5500/- थी. जिसमे एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट एवं एक बैटरी भी शामिल थी, ओर वर्तमान में भारत में दो तरह की EVM है, M2 और M3 EVM, M2 EVM वो EVM है जो 2006 से 2010 के बीच बनी थी और जिनकी कीमत 8 से 9 हज़ार के बीच थी और M3 EVM की कीमत लगभग 17 से 18 हजार के बीच है।(चुनावी स्याही क्या है ये क्यों नही मिटती है? )
इसके अलावा EVM को लेकर कई सवाल उठते है जैसे इसे हैक किया जा सकता है, आपको क्या लगता है क्या EVM को हैक किया जा सकता है और क्या भारत में होने वाले चुनाव में EVM का इस्तेमाल होना चाहिए या फिर पहले की तरह बैलेट पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए।
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