CFL का फुल फॉर्म ” Compact Fluorescent Lamp “ है . जिसे हिंदी में भी ” कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप ” के नाम से जानते है . इस Bulb में फ्लोरोसेंट नाम का पदार्थ भरा जाता है . तथा ये सीएफएल कांच ( Glass ) एवं आर्गन से बनाया जाता है . जिसमे पारा भी कुछ मात्रा में यूज़ किया जाता है।
LED के प्रकार-
CFL bulb 2 प्रकार के होते हैं । 1- Integrated – एकीकृत 2 – Non Integrated – गैर एकीकृत
LED का इतिहास-
सन 1907 में सबसे पहली बार LED को इस दुनिया में लाया गया जब elecluminescence की discovery हुई British scientist H.J.Round के द्वारा Marconi Labs में.
उसके बाद सन 1961 में Gary Pittman और Robert Biard जब अपने experiments कर रहे थे Texas Instruments में तब उन्होंने ये discover किया की gallium arsenide electrical current के संपर्क पर आने पर infrared radiation emit करता है, जिसे की उन्होंने बाद में infrared LED के नाम से patent बना लिया.
उसके बाद सबसे पहली बार visible light LED (red) सन 1962 में आई. इसे develop किया गया Nick Holonyak Jr. के द्वारा जब वो General Electric में काम कर रहे थे. इसलिए Holonyak को “father of the light-emitting diode” भी कहा जाता है.
कुछ रोचक बातें एलईडी के बारे में
सामान्य बल्ब से बिजली के झटके (शॉक) लग सकते हैं, लेकिन एलईडी से झटका नहीं लगता। इसमें शॉक रेसिस्टेंस पावर होता है।
मर्करी वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। सीएफएल बल्ब में इसका इस्तेमाल होता है, इस वजह से इसे प्रदूषण का कारण माना जाता है। लेकिन एलईडी में हानिकारक मर्करी का उपयोग नहीं होता और यह ईकोफ्रेंडली है।
साधारण बल्ब से पांच गुना अधिक और सीएफएल बल्ब से भी काफी तेज रोशनी देता है एलईडी।
एलईडी बल्ब 25 हजार घंटे से एक लाख घंटे तक आसानी से जलता है। यह इतना अधिक समय है कि सालों-साल तक अपनी रोशनी दे सकता है, जबकि सीएफएल बल्ब 10-15 हजार घंटे और सामान्य बल्ब मात्र एक से दो हजार घंटे तक जल सकता है।
1970-80 के दशक में तैयार एलईडी हाल के कुछ वर्षों तक आसानी से काम करता रहा है।
एलईडी बल्ब गर्म नहीं होता है, इसलिए इसे कूल लाइट भी कहा जाता है।
दोस्तो उम्मीद करते है आपको ये जानकारी अच्छे से समझ आ गई होगी अगर आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करेंगे तो हमको बहुत खुशी होगी। और Awesomegyan.in से जूड़े रहे।