15 अगस्त क्यों मनाया जाता है ? 15 अगस्त की पूरी जानकारी। – 15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है आज से 75 वर्ष पहले सन् 15 अगस्त सन् 1947 को लगभग 200 वर्षों की अंग्रेजी शासन की गुलामी से हमारा देश आजाद हुआ था और हर वर्ष इसे पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारतीय इतिहास 15 अगस्त 1947 ही वो दिन था जिस दिन भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्र घोषित किया गया। देश को आजादी हासिल करने के लिए हजारों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान की कुर्बानियां देनी पड़ीं।
15 अगस्त कैसे मनाया जाता है ?
इस दिन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। साथ ही राष्ट्रपति द्वारा देश को संबोधित भी किया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस की तैयारियाँ स्कूल और कॉलेजों में काफी समय पहले से ही प्रारंभ हो जाती हैं। विभिन्न प्रकार की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, भाषण, देशभक्ति के गीत, कवितायें आदि का आयोजन इस अवसर पर किया जाता है।
15 अगस्त क्यों मनाया जाता है ?
देखा जाये तो दुनियाँ में लगभग सभी देश किसी न किसी समय दूसरे देश के गुलाम अवश्य रहे हैं। ऐसे ही एक समय था जब हमारे देश को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। और इसी को ध्यान में रखकर सन् 17वीं शताब्दी के आसपास अंग्रेज हमारे देश में व्यापार करने के लिए भारत आए। उनके भारत आने का उद्देश्य मुनाफा कमाने का था।
चूंकि हमारे देश में पहले मुगलों ने अपनी जड़ें काफी अच्छी तरह से जमा रखी थी। ब्रिटिश की ईस्ट इंडिया कंपनी की नजर हमारे देश पर टिकी थी। वह कंपनी हमारे देश में व्यापार करने के लिए आना चाहती थी। लेकिन भारत में मुगल साम्राज्य सैन्य बल और आर्थिक शक्ति में काफी संपन्न हुआ करता था।
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लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ मुगल साम्राज्य का भी पतन होने लगा। और ब्रिटिश शासन को यह समझने में देर न लगी और उन्होंने इसका फायदा उठाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने भारत में व्यापार करने का तरीका अपनाया। इसके लिए उन्होंने भारत से पुर्तगालियों को देश से बाहर करने के लिए उपाय करना प्रारंभ कर दिया । और इसके बाद सन् 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने भारत में अपने व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कल-कारखानों की स्थापना करना शुरु कर दिया जिससे कंपनी का एकाधिकार इसमें बढ़ता चला गया। व्यापार करने साथ-साथ ब्रिटिशों ने अपनी सैन्य ताकत को भी बढ़ाना प्रारंभ कर दिया था और इसके लिए उन्होंने देश के कई रियासतों और वहां के सत्ताधीन राजाओं को किसी भी प्रकार धोखे आदि से यु( में हराकर उनको बंदी बनाया और उनकी रियासतों को अपने कब्जे में कर लिया और इस तरह उन्होंने पूरे देश को गुलाम बनाकर उस पर अपना शासन चलाना शुरु कर दिया।
ब्रिटिश सरकार ने इस दौरान भारतीय जनता पर बहुत अत्याचार किए । जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड कई बेगुनाह नागरिकों पर अंधाधंुध गोलियां बरसाकर कई लोगों की जान चली गई। इस दौरान अंग्रेजों द्वारा कई तरह से शारीरिक और मानसिक अत्याचार देश की जनता पर किये गये।
‘‘फूट डालो शासन करो’’ की नीति पर अंग्रेजों ने इस देश में कब्जा किया। अंग्रेजों द्वारा देश की जनता पर किये जाने वाले अत्याचार से देश में उनके खिलाफ बहुत आक्रोश था। जनता उनके अत्याचारों से मुक्ति पाना चाहती थी जिसका एक रास्ता था भारत देश की आजादी।
इस आजादी को पाने के लिए देश की आजादी के लिये कई वीरों ने अपनी शहादतें दीं। आजादी पाने के लिए इसी कड़ी में दिनांक 10 मई 1857 में आजादी पाने के लिए पूरे देश अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हो गया और पूरे देश में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ क्रांति शुरु हो गई। इस क्रांति ने ब्रिटिश सरकार की जड़ेें हिला दी थी। इस क्रांति का मुख्य कारण था ब्रिटिश सरकार में भर्ती भारतीय सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कारतूसों का इस्तेमाल करना, जिसे राइफल में लगाने के लिए दांतों से खोलना पड़ता था। चूंकि इन कारतूसों में गाय और सूअर के मांस से बनी चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था और ये सब करना हिन्दू और इस्लाम धर्म वर्जित है। जिसके परिणामस्वरूप इन सैनिकों ने इसका विरोध करना शुरु कर दिया। इसके अलावा कई और भी घटनाऐं इस प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के प्रारंभ होने का कारण बनीं।
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ब्रिटिश सरकार के खिलाफ इस क्रांति का उद्देश्य देश को आजाद कराना और अंग्रेजों को भारत से भगाकर देश को आजाद करवाना था लेकिन दुर्भाग्यवश कई ऐसी घटनाएं हुई जिनकी वजह से 1857 का ये प्रथम स्वतंत्रता संग्राम विफल हो गया जैसे कि मेरठ छावनी के सैनिकों द्वारा इस स्वतंत्रता संग्राम को देशव्यापी स्तर पर प्रारंभ करने का समय 31 सन् 1857 चुना गया था लेकिन इसे 10 मई 1857 को सैनिकों द्वारा प्रारंभ कर दिया। इसके अलावा पूरे देशव्यापी स्तर पर इस क्रांति का प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया। रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब जैसे और भी कई देशभक्तों ने इस क्रांति को सफल बनाने के अपनी पूरी ताकत झौंक दी थी लेकिन देश के कुछ रियासतों जैसे सिंधिया खानदान जैसे अन्यों राजाओं ने इस क्रांति को अपना समर्थन नहीं दिया।
इसके बाद कई छोटे एवं बड़े स्तर पर ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। और हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कई अभियान का सामना करना पड़ा। महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, करो या मरो आंदोलन के अलावा नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव के बलिदान के फलस्वरूप और दो विश्व युद्धों के बाद ब्रिटेन कमजोर पड़ने लगा।
और हजारों लाखों कुर्बानियाँ देने के बाद दिनांक 15 अगस्त सन् 1947 को देश ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई और इस प्रकार 15 अगस्त को एक नए स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ।
हर हिन्दुस्तानी के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि 15 अगस्त को भारत को काफी अरसे के बाद ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिली और भारत स्वतंत्र राष्ट्र बना। इसी स्वतंत्रता को मनाने के लिए इस दिन को पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रूप में घोषित किया गया।
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