सरकारी और प्राइवेट बैंक में क्या अंतर होता है ?

सरकारी और प्राइवेट बैंक में क्या अंतर होता है? – बैंकिंग सुविधा (Banking Facility) का इस्तेमाल आजकल हर व्यक्ति करता है और जबसे इण्टरनेट (Internet) का चलन बढ़ा है बैंकिंग सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में सरकारी (Government bank) और निजी या प्राइवेट क्षेत्र के कई बैंक (Private Sector Bank) हमारे देश में कार्यरत हैं। हमारे मन में कई बार यह प्रश्न जरूर उठता है कि आखिर सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक में अंतर क्या होता है ? आपको इसकी जानकारी होना जरूरी है और यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो ये जानना और भी जरूरी हो जाता है।

सरकारी और प्राइवेट बैंक में क्या अंतर होता है ?
सरकारी और प्राइवेट बैंक में क्या अंतर होता है ?

भारतीय रिजर्व बैंक देश का सर्वोच्च बैंक है जो देश की बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है। और देखा जाये तो सरकारी बैंक हो या निजी क्षेत्र का बैंक इनमें कोई विशेष अंतर नहीं है यदि आप भी अपना एकाउंट खुलवाने की सोच रहे तो आप किसी भी बैंक में खाता खुलवा सकते हैं। क्योंकि दोनों Sector के बैंक आर बी आई RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया) के नोटिफिकेशन (Notification) या निर्देशानुसार कार्य करते हैं।

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बता दे 1990 के दशक में प्राइवेट क्षेत्र के बैंक को लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया सरल कर देने के कारण प्राइवेट बैंक की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन सरकारी बैंकों को अपनी सेवायें प्रदान करते काफी समय हो चुका है जिसके कारण ग्राहकों का इनके प्रति विश्वास भी अधिक है। निजी क्षेत्र के बैंको के प्रबंधन में कोई भी सरकारी दखल नहीं होता है।

भारत के सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की सूची – भारतीय स्टेट बैंक (SBI), यूनियन बैंक (Union Bank) , यूको बैंक (UCO Bank), बैंक ऑफ बड़ौदा (Banko of Baroda), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank), देना बैंक (Dena Bank), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) कुछ प्रमुख सरकारी बैंक में आते हैं।

भारत के निजी क्षेत्र या प्राइवेट बैंक की सूची – आईसीआईसीआई (ICICI Bank), कोटक महिन्द्रा बैंक लिमिटेड (Kotak Mahindra Bank), बंधन बैंक (Bandhan Bank), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), एक्सिस बैंक (AXIS Bank), इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) कुछ प्रमुख प्राइवेट क्षेत्र के बैंक हैं।

कुछ मुख्य अंतर जो कि सरकारी और प्राइवेट बैंकों में हैं :

ब्याज दर (Interest Rate) – ग्राहकों को मिलने वाली ब्याज दर के हिसाब से देखा जाये तो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक में कोई अन्तर नहीं होता है दोनों बैंक समान ब्याज दर अपने ग्राहकों को प्रदान करते हैं लेकिन वर्तमान में बाजार में आये कुछ नये बैंक जैसे कि बंधन बैंक अपने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बहुत मामूली ब्याज दर बढ़ाकर प्रदान करते हैं। हाँ ये जरूर है कि सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक द्वारा अपने ग्राहकों को दी जाने वाली ब्याज दर निजी क्षेत्र के बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर की अपेक्षा बहुत मामूली रूप से अधिक हो सकती है।

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हिस्सेदारी या शेयरहोल्डर्स (Shareholders) – सरकारी बैंक या पब्लिक सेक्टर के बैंक में शेयर का ज्यादातर हिस्सा (लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी) Government के पास रहती है जबकि प्राइवेट बैंक में ज्यादातर हिस्सा बड़े शेयर होल्डर के पास रहता हैऔर ज्यादातर ये बैंक किसी न किसी निजी समूह के द्वारा संचालित किये जाते हैं।

उपभोक्ता सर्विस (Customer Service) – उपभोक्ता को सर्विस देने के मामले में Govt. Sector और Private Sectors के बैंक में कोई अंतर नहीं होता है लेकिन देखा जाये तो निजी बैंक सरकारी बैंक की तुलना में उपभोक्ता को अधिक सुविधाऐं प्रदान करते हाँ वे इसके लिए अधिक शुल्क (Processing Fees) जरूर लेते हैं। सरकारी बैंक में उपभोक्ता को यही सुविधाऐं देने के लिए कम शुल्क लिया जाता है या कहें कि इन्हीं सब सुविधाओं को प्रदान करने के लिए सरकारी बैंक कम सुविधा शुल्क ग्राहकों से लेते हैं।

विश्वसनीयता (Reliability) – चूंकि सरकारी बैंकों को इस क्षेत्र में आये हुए काफी समय हो चुका है और इस वजह से ये बैंक ग्राहकों का विश्वास (Customer’s Trust) हासिल करने में सफल हो चुके हैं इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपने सैलेरीज, एफ डी और भी कई सुविधाओं के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंक पर निर्भरता ग्राहकों की विश्वसनीयता सरकारी बैंक में बढ़ाती है।

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