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ऐसे फहराया जाता है तिरंगा। राष्ट्र ध्वज फहराने के नियम।

ऐसे फहराया जाता है तिरंगा। राष्ट्र ध्वज फहराने के नियम। – 15 अगस्त को पूरे देश में आजादी का जश्न मनाया जाता है और उस सभी लोग  तिरंगा फहराते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कई नियम भी हैं और तिरंगे का अपमान और अनादर करना एक दंडनीय अपराध माना जाता है। राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंगा होता है और इस वजह से हम इसे तिरंगा कहते हैं।

राष्ट्रीय ध्वज में सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग से बना अशोक चक्र होता है जिसमें चौबीस तीलियां होती हैं। ध्वज को साधारण भाषा में झंड़ा कहा जाता है। हमारे देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ नाम का एक कानून है जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। अगर कोई इन नियमों का पालन नही करता है तो उसे जेल हो सकती है। आज हम आपको हमारे राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियम और कानून बताने वाले है।

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तिरंगे को हमेशा अपने पास की सबसे ऊंची जगह पर फहराना चाहिए।
तिरंगे को कभी झुकाया नहीं जाता है और ना ही जमीन पर रखा जाता है। आदेश के बाद ही सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराया जा सकता है।
तिरंगे को हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है।
केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके तिरंगा फहराना गलत है।
तिरंगे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता है और नाही किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुचाया जाता है।
तिरंगे के किसी भाग को जलाने नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
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तिरंगे का आकार आयताकार होना चाहिए और इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए।
तिरंगे का इस्तेमाल किसी कार्यक्रम में टेबल को ढकने या मंच को सजाने में नहीं किया जाना चाहिए।
तिरंगे के कपड़े बनाकर नही पहना जा सकता है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल आदि बनाकर इस्तेमाल करना तिरंगे का अपमान माना जाता है।
कभी भी फटा या मैला-कुचैला या जला हुआ तिरंगा नहीं फहराया जाता है। झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे अकेले में जला देना चाहिए या अन्य किसी तरीके से नष्ट करना चाहिए ताकि उसकी गरिमा बनी रहे। बता दे की झंडे को पवित्र नदी में जल समाधि भी दी जा सकती है।
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