अगर हमारी तबियत खराब होती है तो हम डॉक्टर के पास जाते है फिर डॉक्टर हमे कुछ दवाएं लिखता है और हम ठीक हो जाते है। लेकिन डॉक्टर हमे कभी भी जेनेरिक दवाएं नही लिखते है जबकि जेनेरिक दवाएं (Generic Medicine) सस्ती होती है। डॉक्टर हमेशा महंगी और ब्रांडेड दवाएं ही लिखते है,क्या अपने कभी सोचा है डॉक्टर कभी भी जेनेरिक दवाएं (Generic Medicine) क्यों नही लिखते है।
जब भी हम किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाते है तो आपने देखा होगा की वहां पर कई सारे मरीजों के अलावा कुछ और लोग भी बैठे होते है जो डॉक्टर से मिलने के लिए मरीजों से भी ज्यादा उतावले होते है जिन्हें मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (Medical Representative) कहा जाता है।
किसी भी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम होता है अपनी कंपनी की दवाओं (Medicine) का प्रचार करना और अपनी कंपनी के दवाएं लिखने के लिए डॉक्टर को मनाना, जिससे वो मरीजों को उन्ही की कंपनी की महँगी दवाएं मरीजों को लिखे। ऐसा करने के लिये कई बार डॉक्टर्स को इनाम भी दिया जाता है और ये इनाम कैश (Cash) भी हो सकता है या फिर कोई महंगा गिफ्ट या फिर कुछ और भी हो सकता है।
![doctor generic medicine kyun nahi likhte](http://awesomegyan.in/wp-content/uploads/2019/08/20190816_091552.jpg)
लेकिन इन सब में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का दोष सिर्फ इतना होता है कि वो अपनी नोकरी कर रहे होते है अब ये भी क्या कर सकते है यही इनका काम है। अब ऐसा भी नही की सरकार ने कुछ नही किया, जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ नियम बनाए है साथ ही डॉक्टर्स को जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश भी दिए है।
सरकार की ये कोशिश है सभी गरीबों को दवाएं (Generic Medicine) कम कीमत पर मिले।
लेकिन जेनेरिक दवाओं को लेकर डॉक्टर के मन में आशंकाएं या फिर यूँ कह लीजिये की कुछ डर होता है डॉक्टर के अनुसार जेनेरिक दवाओं में कुछ कमियां होती है जिस कारण वो इन्हें मरीजों को देना नही चाहते है। उनके अनुसार इन दवाओं की बायोआवैलिबिलिटी Bioavailability (दवाई का कितना प्रतिशत शरीर में रह पाता है) ठीक नही है साथ ही इन दवाओं को बनाते समय की गुणवत्ता का ध्यान नही रखा जाता है इसके अलावा इन दवाओं का कोई क्लिनिकल परीक्षण नही होता है और ना ही मरीजों पर इनका क्या असर होगा इसका अध्यन नही किया जाता है। इसके अलावा कई मरीज ऐसे भी होते है जो सरकारी हॉस्पिटल जाकर भी जेनेरिक दवाएं लेना नही चाहते है ,शायद वो ऐसा इसलिए चाहते है क्योंकि उन्हें भी शायद इन दवाओं पर भरोसा नही होता है जितना की ब्रांडेड दवाओं पर होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता भारत माना जाता है लेकिन फिर भी इन दवाओं की गुणवत्ता में सुधार थोड़ी जरूरत है और साथ जेनेरिक दवाओं न देने के लिए भी पूरी तरह से डॉक्टर को जिम्मेदार नही माना जा सकता है। जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी में सुधार करके इन दवाओं को महँगी और ब्रांडेड दवाइयों के बराबर लाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है। तो आपको समझ आ गया होगा की डॉक्टर जेनेरिक दवाएं देने में क्यों हिचकिचाते है। आशा करते है आपको ये जानकारी पसंद आएगी, जानकारी पसंद आये तो अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर करे धन्यवाद।
ये भी पढ़े –
- Doctor कैसे बने? (How To Become A Doctor)
- ऑपरेशन और सर्जरी में क्या अंतर होता है?
- सरोगेसी क्या होती है? What Is Surrogacy
- Doctor कैसे बने?