ट्रैन को पटरियों पर ही चलाया जाता है और इसके पीछे कुछ खास कारण होते है, जैसे ट्रैन का वजन सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से काफी ज्यादा होता है। किसी भरे हुए ट्रक का वजन लगभग 15 से 20 टन हो सकता है जबकि एक भारी हुई मालगाड़ी का वजन 100 टन से भी ज्यादा हो सकता हैं.
इसके अलावा अगर बात की जाये ट्रक के पहिए की तो इनकी चौड़ाई करीब 10 इंच होती है। जबकि ट्रैन के पहिये की चौड़ाई 4 इंच होती है, यानि ट्रक के पहिए की चौड़ाई ट्रैन के पहिए करीब ढाई गुना ज्यादा होती है और इसका मतलब ये हुआ की ट्रेन के पहिए पर ढाई गुना ज्यादा दबाब झेलना पड़ता है। एक मालगाड़ी का पहिया ट्रक के पहिये की तुलना में 10 से 12 गुणा ज्यादा दबाव झेलता है।
इसका मतलब ये हुआ की अगर ट्रैन के लिए सड़क बनाई भी जाये तो उसे 10-12 गुना ज्यादा मजबूत बनाना पड़ेगा और जिसमे पैसा भी दम से लगेगा। जबकि की मिट्टी इतना अधिक भार नही झेल सकती है और इसी वजह से पटरी के नीचे स्लीपर डालकर लोड को ज्यादा एरिया में फैलाया जाता है।
इसके अलावा सड़क पर जो भी बड़ी बड़ी गाड़ियां चलाई जाती है उन सब में स्टीयरिंग होती है जो उनके अगले पहिये को कंट्रोल करती है, यानि उनके पहियों की दिशा स्टीयरिंग द्वारा कण्ट्रोल की जाती है। लेकिन ट्रैन में ऐसा नही है ट्रैन में दिशा को कंट्रोल पटरीयों द्वारा की जाती है, साथ ही पटरी से ही मैचिंग, स्लोप और फ्लैंज पहिये में होता है। तो अगर पटरी नही होगी ट्रैन की दिशा को कंट्रोल नही किया जा सकेगा।
ट्रैन के जो पहिये होते है वो किनारों से थोड़े उठे हुए होते है और जिन्हें फ्लैंज कहा जाता है। बता दे की यही वो चीज़ है जिसके कारण ट्रैन पटरी बदल पाती हैं। यह 30 मिलीमीटर से भी ज्यादा ऊंचा उठा हुआ होता है। इस फ्लैंज के वजह से पटरी जमीन से थोड़ी उठी हुई रहती है जिससे की पटरी जमीन से न टकरा पाए, लेकिन जहाँ कहीं भी पटरी जमीन के बराबर लेवल पर आ जाती है तो वहां पर फ्लैंज की गहराई के अनुसार जमीन को खोदकर नीचा करना पड़ता है।
बात दे की ये फ्लैंज करीब 2 इंच चौड़ा और सवा इंच गहरा हो सकता है। अगर सड़क पर ट्रेन चलाई जाती है तो इतना ही चौड़ा और गहरा खांचा बनाते हुए ट्रेन चलेगी। अगर ट्रैन को सड़क पर चलाना भी चाहे तो वो सिर्फ एक बार ही चल पायेगी और वो भी सीधी नही चल पायेगी क्योंकि ट्रैन में स्टीयरिंग नहीं होता है।
इसका एक और कारण है पटरियों और पहिए के बीच का घर्षण बल। बता दे की पटरियों और पहिए के बीच लगने वाला घर्षण बल, सड़क पर चलने वाले वाहन के पहिए के बीच लगने वाले घर्षण बल से काफी कम होता है। इसका मतलब हुआ की पटरियों पर कम बल लगाकर ज्यादा से ज्यादा भार खिंचा जा सकता हैं।
तो कुल मिलाकर कहा जाये तो ट्रैन को सड़क पर चलाना संभव नही है। अगर सड़क पर ट्रेन चला भी ली जाती है तो वो सड़क एक बार में ही ख़राब हो जायेगी, साथ ही जिस तरह से ट्रेन अपने पहिये की मदद से पटरी बदल कर अपनी दिशा बदलती है, सड़क पर ऐसा करना संभव नही होगा, क्योंकि ट्रैन अपनी दिशा पहियों और पटरी की मदद से ही बदलती है ऐसा इसलिये क्योंकि ट्रैन में स्टीयरिंग नही होती है।
तो आशा करते है आपको ट्रैन से जुडी ये जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपके लिए यह जानकारी काम की साबित होती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करे धन्यवाद…